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6वाँ दोहा प्रजातंत्र मंच समाप्त हुई

माननीय शेख हमद बिन जासेम बिन जाबर अल थानी

कत्तर में हो रहे 6वां रजातंत्र, विकास और मुक्त व्यापार के मंच गुरुवार 13 अप्रैल, 2006 को समाप्त हुई।  आज हुई तीन सभाओं में मानव अवकाश, युवकों के कार्यभाग और राजनैतिक सुधरावों में नागरिक समाज संस्थापनों बारें में विचार विमर्श की है। इसके अलावा अरब विश्व के सुधराव प्रत्रियाओं के बारें में भी चर्चा हुई

कत्तर के प्रथम उपप्रधान मंत्रि एवम विदेशकार्य मंत्रि माननीय शेख हमद बिन जासेम बिन जाबर अल थानी ने प्रजातंत्र के मौलिकता के बारें में जोर की। उन्होंने कहा कि इसके लक्ष्य सामाजिक इनस्फ के परिपालन करना है। माननीय प्रथम उप प्रधान मंत्रि ने कहा कि संस्थापनों, मानव अवकाशों, प्रशासन में जनता के हिस्सेदारि और संक्रियता के पारदर्शनियता से ही एसे राष्ट्र के निर्माण हो सकते है।

प्रजातंत्र, विकास और मुक्त व्यापार के 6वाँ दोहा मंच में बुधवार, 12 अप्रैल 2006 को प्रभाषण करते हुए ममाननीय प्रथम उपप्रधान मंत्रि एवम विदेशकार्य मंत्रि माननीय शेख हमद बिन जासेम बिन जाबर अल थानी ने कहा कि प्रजातंत्र सिर्फ एक औपचारिक क्रिया नही है। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र के विजय के लिए एस संपूर्ण विकास योजना होना चाहिए जिससे राज्य के आर्थिक एवम सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिए एक प्रारूप होना ज़रूरी है। उन्होंने कहा सिर्फ इसी मार्ग से ही किसी भी राज्य में प्रजातंत्र के विजय होगा।

आतंकवाद के निर्वचन के बारें में बताते हुए माननीय प्रथम उपप्रधान मंत्रि ने कहा कि संयुक्त राष्ट सभा ने इस को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से साथ नाता रखते है। इस तरह के आतंकवाद कई से निर्दोषियों के जीवन को खतरा होते है और मौलिक स्वतंत्र्य को धमकाते है। उन्होंने कहा कि अभी तक अंतर्राष्ट्रीय समूह ने आतंकवाद को निर्वाचित नही किए है। अगर एसे निर्वचन करने मे सहमत होगो तो भी आतंकवाद को तत्वप्रदान विचारों से शक्ति हासिल करते है जिसे लोगों पर हिंसा और आतंक पैदा करते है।

माननीय प्रथम उपप्रधान मंत्रि एवम विदेशकार्य मंत्रि माननीय शेख हमद बिन जासेम बिन जाबर अल थानी ने चेतावनी दिया कि गरीबी, अत्याचार और नैर्श्य से आतंकवाद जन्म होते है।  उन्होने कहा कि इसे लोग शहीदी और त्याग के विचार होते है जिससे कई जीवन के नाश होते है जिसमें अपराधकर्ता भी शामिल होते है। उन्होंने कहा कि इन अपारधकर्ताओं के नज़ में यह सिर्फ एक आसान और न्यायिक क्रिया है जिसे मौलिक परिवर्त्तन हासिल करने के उद्देश्य है।  माननीय उपप्रधान मंत्रि ने कहा कि यह प्राथमिक तौर से एक राजनैतिक, मानसिक, धार्मिक और कानूनी मसला है।

उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महत्वपूर्ण रिश्तों के परिपालन करने के अवश्यकता के बारें में जोर दिया और कहा कि अत्याचार और नैराश्य विचार से ही आतंकवाद पैदा होते है।  उन्होंने कहा कि कई प्रबल राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थापनों से लोग निराश होते है। उन्होंने कहा कि सिर्फ अनुष्टानों में घोषणा करने से नही बल्कि आतंकवाद को सामना करना है।

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