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यूएस-इस्लामी विश्व मंच कत्तर के मेज़बानी में

यूएस-इस्लामी विश्व मंच कत्तर के मेज़बानी में 18 फरवरी से 20 फरवरी 2006 तक चलते रहेंगे। कत्तर राज्य ने इस मंच के मेज़बानी तीसरा बार कर रहे है।यह  सुनिश्चित और उत्प्रेरक संक्रियताओं को प्राप्त करने के एक संयोजन मंच होने के आशा है। यह सिर्फ संवाद के लिए संवाद करने के मंच नही बल्कि सरकार, जनता और निजी क्षेत्रों के लिए अभियोज्य कार्यक्रमों के प्रबंध करनेवाला एक मंच होंगे।

इस मंच के प्रथम सम्मेलन सन 2004 जनवरी में हुए थे जहाँ अमेरिका से 165 नेताओं और मुसस्लिम विशश्व के 37 राष्ट्रों से कई नेताओं विचार विमर्श करने के लिए भाग लिए थे। पूर्व अमेरिकि राष्ट्रपति बिल क्लिन्डन और कत्तर के एमीर महामहिम शेख हमद बिन खलीफा अल थानी ने पिछले मंच में मुख्य भाषण किए थे। सन 2005 के मंच के नींव को प्रबल करने के लिए अमेरिका और सेनिगल से इन्दोनेशशिया तक विश्व के 35 मुसस्लिम राष्ट्रों से 160 नेताओं आए है।

विश्व के विभिन्न स्थानों से भागीदारों को शामिल करते हुए इस मंच विध्वानों के एक अनुपम मिलन स्थान बन गया है। इस मंच में हो सकता है कि अमेरिकी वाल स्ट्रीट के एक बैंकर पाकिस्तान के एक इस्लामी नेता के पास बैठे या पाकिस्तान के एक पत्रकार ने अमेरिकि नेवी के अडमिरल के साथ दावत खाना में उपस्थित रहना एक साधारण दृश्य होते  है। इस मंच में विश्व के कई मशहूर नीति-निर्धारकों और विशेषज्ञों भाग लिया है फिर भी यहाँ भागीदारों को नए आवाज़ सुनने के आकांक्ष होते है और नए पीढीयों को मिलने के लिए उत्सुक रहते है।

संवाद, विचार और विमर्श इस मंच में होते रहते है लेकिन विश्व के अनेक विध्वानों, नीति-निर्धारकों और विशेषज्ञों एक साथ मिलने के अनुपम अवसर बहुत ही हार्दिक होते है। पिछले मंचों के परिणित फल से कई विद्यालयों के निर्माण और क्षेत्र में मानव शेषी के विकासों के कई पहलों हुए है। लेकिन इसमें सबसे प्रधान तो मुस्लिम अमेरिकी विदेश नीति ग्रूप के आरम्भ और कुछ संघर्ष क्षेत्रों के लिए दूसरी ट्राक (ट्राक टू) कुटनीतिज्ञ संवाद है। इस मंच के जरिए संवादों के लिए कई बुनियादों के प्रबंध होतते जाते है। क्षेत्र के एसे सम्मेलनों के अनुवर्त्तनों से  अन्य मुस्लिम क्षेत्रों में समान सम्मेलनों करने के प्रोत्साहन मिलते है। संयुक्त माध्यमों, शिक्षा और युवकों पर केन्द्र कार्यक्रमों से कई निष्पादनों होते है।

सन 2006 के यूएस-इस्लामी विश्व मंच के प्रकरण नेताओं परिवर्तन करते है  है। इस प्रकरण तो पिछले मंचों के अनुवर्तन है। पिछले मंचों ने दिखाया कि जिस क्षेत्र में स्थिरता या निश्चलता है वहाँ यूएस और विस्तृत मुस्लिम विश्व के रिश्ते में सितम्बर 11 से परिवर्तन हुई है। लेकिन इस परिवर्तनों को दोनों पक्षों ने धनात्मक या निर्णायक समजा है। कैसे भी समझो, लेकिन, इस यथापूर्व-स्थिति अस्थायी है। यह भी कह सकते है  कि  इस अस्थायी अवस्था भी एक तरह के परिवर्तन है। जान-बुझकर किए विदेशकार्य नीति और आंतरिक सुधरावों के नीतियों परिवर्तनों के घटकों बन जाते है। लेकिन विश्वकरण और जनसंक्या विज्ञान इस प्रणाली को हिलाते है। इस रिश्ते के अवस्था हमेशा पिगलावी रहेगा। इसी अवस्था ने विचार-विमर्श से सब में जैसे राजनैति में धर्मों के कार्यभाग आदी को रूप देते है और यह कला के क्षेत्र, लोकप्रिय संस्कृति और आपसी समझदारियों को भी रूप परिणाम करते है। लेकिन भूतकाल के प्रतिघात और सामने आकाशशवृत में दिखाई दे रहे परिवर्तन के शक्ति को समझना चाहिए।

पिछले मंचों ने अमेरिकी और मुस्लिम विश्व के आपसी रिश्ते को आपसी तत्पर क्षेत्रों में सुधारने के उत्तरदायित्व प्रदान किए है। लेकिन सवाल यह रहा कि नेताओं ने परिवर्तन के शक्ति पर कैसे प्रतिक्रिया करेंगे और इन नेताओं ने सुन्शिचित और सफल परिसमाप्ति के लिए किस दिशे में जाएगं। लेकिन अमेरिकी-इस्लामी विश्व मंच के मौलिक तत्व यह है कि असली नेताओं ने एसे विषयों के हकदार बनेंगे ताकि वे इन मामलाओं को हल कर सकें।            

विदेशी सूचना साधन, /17/2/2006

 
 
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