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प्रथम उपप्रधान मंत्रि ने यूएस-इस्लामी विश्व मंच के उदघाटन की

विदेशी सूचना साधन, कतर, 18-2-2006

कत्तर के एमीर महामहीम शेख हमद बिन खलीफा अल थानी के परिरक्षण में कत्तर के विदेशकार्य मंत्रालय ने संघटित किए यूएस-इस्लामी मंच शनिवार, 18 फरवरी 2006 को दोहा के रिट्स कार्ल्टन होटल में आरम्भ हुई।

कत्तर के प्रथम उपप्रधान मंत्री एवम विदेशकार्य मंत्री माननीय शेख हमद बिन जासेम बिन जाबर अल थानी ने मंच के उदघाटन की  और उदघाटन के प्रभाषण में उन्होंने कहा कि भविष्य में अमेरिकि-इस्लामी रिश्ते के विविध क्षेत्र के दर्शनों को निर्वचन करना चाहिए।

माननीय उप प्रधान मंत्री ने पिछले पाँच सालों में मध्य पूर्व देशों के प्रजातंत्र, सुधराव, संपूर्ण विकास, आतंकवाद वाद के खिलाफ किए संक्रियता और इराक एवम अफगानिस्तान के घटनाओं के बारे में पूनर अवलोकन की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के चिरकालिक संघर्षों के हल नही हुई और अभी भी चल रहे है। माननीय उप प्रधान मंत्री नै आह्वान कि इस विषयों को गम्भीरत्पूर्वक ध्यान देना है और इस विषयों के कम से कम कुछ उचित हल होना चाहिए।

इस मंच को उदघाटन करते हुए कत्तर के प्रथम उप प्रधान मंत्री एवम विदेश कार्य मंत्री माननीय शेख हमद बिन जासिम बिन जाबर अल थानी प्रभाषण करेंगै। बहरेन के विदेशकार्य मंत्री शेख खालिद बिन अहमद बिन मोहमद अल खलीफा, इस्लामी सम्मेलन सभा के महासचीव डाक्टर एकमलदिन इहस्नोग्लू, अमेरिका के ब्रूकलिन संस्थापन के मध्यपूर्व देश के नीति के सबान केंद्र के निर्देशक मार्टिन इन्डिक, मलेषिया के विदेश कार्य मंत्री  सैद हमीद अलबार और अमेरिका के सार्वजनिक कुटनीति एवम सार्वजनिक कार्य मंत्रि भी इस सम्मेलन के उदघाटन सभा में प्रभाषण करने के आशा है।

9-11 आक्रमण के पाँच साल बाद अमेरिका और इस्लामी विश्व के आपसी रिश्ते के बारें में उदघाटन सभा में चर्चा होंगे। वर्तमान काल से पाँच ससाल के बाद अम्रेरिका और इस्लामी विश्व के भविष्य रिश्ते के बारें में भी मंच में चर्चा होने के आशा है।

शुक्रवार, 17 फरवरी 2006 में कत्तर के अनुवर्तन कार्य के सह विदेशकार्य मंत्रि माननीय मोहमद बान अब्दुल्ला अल रुमेही और अमेरिकी नीति योजना के अमेरिका के ब्रूकलिन संस्थापन के मध्यपूर्व देश के नीति के सबान केंद्र के निर्देशक निर्देशक पीटर सिंगर के साथ हुए एक पत्र सम्मेलन में इस मंच में विचार विमर्श करने वाले विषयों, मंज के लक्ष्य और अमेरिकी और इस्लामी विश्व के भविश्य आपसी रिश्ते एवम दर्शनों के बारे में अवलोकन किए थे।

माननीय अल रुमेही ने कहा कि अमेरिकी और इस्लामी रिश्ते के विकास के लिए कत्तर के एमीर महामहिम शेख हमद बिन खलीफा अल थानी के निर्देश के अनुसार इस मंज को संघटित किया है।

माननीय अल रुमेही ने कहा कि ग्रहणबोध, वास्तविकता, इस विषय के बारे में वर्तमान में सामान्य लोगों के राय के चयन, अमेरिका और इस्लामी विश्व के 9-11 से वर्तमान और पाँच साल के बाद तक के आपसी रिश्ते, युवक और विकास, माध्यमों के असर, टेकनलोजी, कला, राजनैति, विश्वकरण के युग में विश्वास और परिवर्तन, यूवक और अमेरिकी-इस्लामी रिश्ते के भविष्य और विश्व में न्यून पक्षों के स्थिति आदी विषयों के बारें मे विचार विमर्श होंगे।

अमेरिकी और इस्लामी विश्व के तनाव के बारें में सिंगर ने बात किया और कहा कि दोनों पक्षों के दर्शन और विचार विमर्श आपस में एसे मंच में  बैठकर संवाद करने में बहुत ही  प्राधान्यता और सफलता है। उन्होंने कहा कि इससे आपसी रिश्ते के विकास ज़रूर होंगे।

उन्होंने कहा कि इस मंच में इराक के वर्तमान स्थिति, फलस्तीन में हुई चुनाव में हमास के विजय और मुसलमानों को दुखित किए कारटून के बारे में चर्चा करेंगै। उन्होंने आशा की कि इस मंच के संवादों से अमेरिकी और इस्लामी विश्व के रिश्ते में एक कदम आगे बढेंगे।

इस तीन दिन के मंच में 150 अमेरिकी और मुस्लिम नेताओं भाग लेंगे जिनके निपुणता सरकारी मंत्रिओं, मुख्य कार्यवाहकों, पत्रकारों, शास्त्रज्ञनों, धार्मिक नेताओं ससे गीतकार तक है। इस मंच में 38 राष्ट्रों भाग लेंगे। इसके अलावा इस मंच में हारवार्ड, ओक्सफोर्ड विश्व विद्यालयों, सौदि अरेबिया के महिलाओं के प्रथम कोलेज दार अल हेक्मा, इराक के नजफ के धर्मशास्त्रों के कोलेज भी भाग लेंगे।

टेकनलोजी के सिसको व्यापार केंद्र, टर्की के वाणिज्य केंद्र, और माध्य क्षेत्रों के न्यू योर्क टाईम्स, अल अहरम, अल जज़ीरा, फोक्स, एंटीवी और सीएनएन इस मंच में शामिल है।

यूएस-इस्लामी विश्व मंच कत्तर के मेज़बानी में 18 फरवरी से 20 फरवरी 2006 तक चलते रहेंगे। कत्तर राज्य ने इस मंच के मेज़बानी तीसरा बार कर रहे है।यह  सुनिश्चित और उत्प्रेरक संक्रियताओं को प्राप्त करने के एक संयोजन मंच होने के आशा है। यह सिर्फ संवाद के लिए संवाद करने के मंच नही बल्कि सरकार, जनता और निजी क्षेत्रों के लिए अभियोज्य कार्यक्रमों के प्रबंध करनेवाला एक मंच होंगे।

इस मंच के प्रथम सम्मेलन सन 2004 जनवरी में हुए थे जहाँ अमेरिका से 165 नेताओं और मुसस्लिम विशश्व के 37 राष्ट्रों से कई नेताओं विचार विमर्श करने के लिए भाग लिए थे। पूर्व अमेरिकि राष्ट्रपति बिल क्लिन्डन और कत्तर के एमीर महामहिम शेख हमद बिन खलीफा अल थानी ने पिछले मंच में मुख्य भाषण किए थे। सन 2005 के मंच के नींव को प्रबल करने के लिए अमेरिका और सेनिगल से इन्दोनेशशिया तक विश्व के 35 मुसस्लिम राष्ट्रों से 160 नेताओं आए है।

विश्व के विभिन्न स्थानों से भागीदारों को शामिल करते हुए इस मंच विध्वानों के एक अनुपम मिलन स्थान बन गया है। इस मंच में हो सकता है कि अमेरिकी वाल स्ट्रीट के एक बैंकर पाकिस्तान के एक इस्लामी नेता के पास बैठे या पाकिस्तान के एक पत्रकार ने अमेरिकि नेवी के अडमिरल के साथ दावत खाना में उपस्थित रहना एक साधारण दृश्य होते  है। इस मंच में विश्व के कई मशहूर नीति-निर्धारकों और विशेषज्ञों भाग लिया है फिर भी यहाँ भागीदारों को नए आवाज़ सुनने के आकांक्ष होते है और नए पीढीयों को मिलने के लिए उत्सुक रहते है।

संवाद, विचार और विमर्श इस मंच में होते रहते है लेकिन विश्व के अनेक विध्वानों, नीति-निर्धारकों और विशेषज्ञों एक साथ मिलने के अनुपम अवसर बहुत ही हार्दिक होते है। पिछले मंचों के परिणित फल से कई विद्यालयों के निर्माण और क्षेत्र में मानव शेषी के विकासों के कई पहलों हुए है। लेकिन इसमें सबसे प्रधान तो मुस्लिम अमेरिकी विदेश नीति ग्रूप के आरम्भ और कुछ संघर्ष क्षेत्रों के लिए दूसरी ट्राक (ट्राक टू) कुटनीतिज्ञ संवाद है। इस मंच के जरिए संवादों के लिए कई बुनियादों के प्रबंध होतते जाते है। क्षेत्र के एसे सम्मेलनों के अनुवर्त्तनों से  अन्य मुस्लिम क्षेत्रों में समान सम्मेलनों करने के प्रोत्साहन मिलते है। संयुक्त माध्यमों, शिक्षा और युवकों पर केन्द्र कार्यक्रमों से कई निष्पादनों होते है।

सन 2006 के यूएस-इस्लामी विश्व मंच के प्रकरण नेताओं परिवर्तन करते है  है। इस प्रकरण तो पिछले मंचों के अनुवर्तन है। पिछले मंचों ने दिखाया कि जिस क्षेत्र में स्थिरता या निश्चलता है वहाँ यूएस और विस्तृत मुस्लिम विश्व के रिश्ते में सितम्बर 11 से परिवर्तन हुई है। लेकिन इस परिवर्तनों को दोनों पक्षों ने धनात्मक या निर्णायक समजा है। कैसे भी समझो, लेकिन, इस यथापूर्व-स्थिति अस्थायी है। यह भी कह सकते है  कि  इस अस्थायी अवस्था भी एक तरह के परिवर्तन है। जान-बुझकर किए विदेशकार्य नीति और आंतरिक सुधरावों के नीतियों परिवर्तनों के घटकों बन जाते है। लेकिन विश्वकरण और जनसंक्या विज्ञान इस प्रणाली को हिलाते है। इस रिश्ते के अवस्था हमेशा पिगलावी रहेगा। इसी अवस्था ने विचार-विमर्श से सब में जैसे राजनैति में धर्मों के कार्यभाग आदी को रूप देते है और यह कला के क्षेत्र, लोकप्रिय संस्कृति और आपसी समझदारियों को भी रूप परिणाम करते है। लेकिन भूतकाल के प्रतिघात और सामने आकाशशवृत में दिखाई दे रहे परिवर्तन के शक्ति को समझना चाहिए।

पिछले मंचों ने अमेरिकी और मुस्लिम विश्व के आपसी रिश्ते को आपसी तत्पर क्षेत्रों में सुधारने के उत्तरदायित्व प्रदान किए है। लेकिन सवाल यह रहा कि नेताओं ने परिवर्तन के शक्ति पर कैसे प्रतिक्रिया करेंगे और इन नेताओं ने सुन्शिचित और सफल परिसमाप्ति के लिए किस दिशे में जाएगं। लेकिन अमेरिकी-इस्लामी विश्व मंच के मौलिक तत्व यह है कि असली नेताओं ने एसे विषयों के हकदार बनेंगे ताकि वे इन मामलाओं को हल कर सकें।            

 

 
 
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